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खजराना गणेश का चमत्कार: उल्टा स्वास्तिक बनाते ही पूरी होती है हर मुराद

खजराना गणेश का चमत्कार: उल्टा स्वास्तिक बनाते ही पूरी होती है हर मुराद

इंदौर के मशहूर खजराना गणेश मंदिर की महिमा निराली है। मान्यता है कि यहाँ मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाने से बप्पा बिगड़े काम बना देते हैं और हर मन्नत पूरी होती है। जब मुराद पूरी हो जाए, तो सीधा स्वास्तिक बनाकर बप्पा का शुक्रिया अदा करना न भूलें। यही वजह है कि यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है।

खुशहाल शादीशुदा जिंदगी का ‘सीक्रेट मंत्र’: ऐसे बढ़ेगा पति-पत्नी के बीच प्यार

खुशहाल शादीशुदा जिंदगी का ‘सीक्रेट मंत्र’: ऐसे बढ़ेगा पति-पत्नी के बीच प्यार

अगर शादी के बाद रोमांस गायब हो रहा है और तू-तू मैं-मैं बढ़ गई है, तो घबराइए मत। खुशहाल शादी की असली चाबी एक-दूसरे को समय देने और बात सुनने में है। छोटे-छोटे सरप्राइज और अपनी गलतियों को मान लेना बड़े-बड़े झगड़ों को खत्म कर देता है। पार्टनर का सम्मान करें और विश्वास की डोर को मजबूत रखें !

News Source: न्यूज़ 24
Sikh Calendar 2026: गुरुपर्व से लेकर बैसाखी तक, यहाँ देखें साल भर के बड़े त्योहारों की पूरी लिस्ट!

Sikh Calendar 2026: गुरुपर्व से लेकर बैसाखी तक, यहाँ देखें साल भर के बड़े त्योहारों की पूरी लिस्ट!

साल 2026 के लिए नानकशाही कैलेंडर आ गया है! सिखों के सबसे पावन पर्व गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व, गुरु गोबिंद सिंह जयंती और बैसाखी जैसी अहम तारीखें तय हो गई हैं। अगर आप भी गुरुद्वारों के दर्शन और अरदास की प्लानिंग कर रहे हैं, तो तारीखों को नोट कर लीजिए।

वास्तु टिप्स: घर के पायदान का रंग बदल सकता है आपकी किस्मत

वास्तु टिप्स: घर के पायदान का रंग बदल सकता है आपकी किस्मत

घर के मुख्य द्वार पर रखा पायदान सिर्फ पैर पोंछने के काम नहीं आता, बल्कि वास्तु के हिसाब से यह तरक्की का रास्ता भी खोलता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पायदान का सही रंग और आकार घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। अगर आप भी तंगी और कलह से परेशान हैं, तो दिशा के हिसाब से सही पायदान चुनें।

GK Quiz: क्या आप जानते हैं दिल्ली के ये 3 पुराने नाम?

GK Quiz: क्या आप जानते हैं दिल्ली के ये 3 पुराने नाम?

आज जिसे हम शान से दिल्ली कहते हैं, इतिहास में उसके कई नाम रहे हैं। क्या आपको पता है कि पुराने समय में इसे ‘इंद्रप्रस्थ’, ‘ढिल्लिका’ और ‘योगिनीपुरा’ के नाम से भी जाना जाता था? महाभारत काल में पांडवों ने इसे इंद्रप्रस्थ के रूप में बसाया था।

News Source: न्यूज़ 18
GK Quiz: जानते हैं किस मसाले को कहा जाता है ‘लाल सोना’?

GK Quiz: जानते हैं किस मसाले को कहा जाता है ‘लाल सोना’?

दुनिया में एक ऐसा मसाला भी है जिसकी कीमत सोने के भाव को टक्कर देती है और इसीलिए इसे ‘लाल सोना’ कहा जाता है। हम बात कर रहे हैं केसर की, जिसकी खेती बेहद कठिन होती है और इसके हजारों फूलों से सिर्फ चंद ग्राम केसर ही निकल पाता है। अपनी खुशबू और गुणों के कारण यह दुनिया का सबसे महंगा मसाला बना हुआ है।

News Source: न्यूज़ 18
बुर्ज खलीफा की गजब कहानी: न आसमानी बिजली का डर, न तूफान का असर

बुर्ज खलीफा की गजब कहानी: न आसमानी बिजली का डर, न तूफान का असर

बुर्ज खलीफा सिर्फ ऊंची बिल्डिंग नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग का अजूबा है। इसे खास ‘Y’ शेप में बनाया गया है ताकि तेज हवाएं इसे हिला न सकें। रही बात आसमानी बिजली की, तो इसके लिए जबरदस्त अर्थिंग सिस्टम लगा है जो बिजली को सोखकर सीधे जमीन में भेज देता है। तूफानों के बीच ये गगनचुंबी इमारत आज भी सीना तानकर खड़ी है।

News Source: न्यूज़ 18
पुराना स्विच बोर्ड चमकाने का सबसे आसान तरीका

पुराना स्विच बोर्ड चमकाने का सबसे आसान तरीका

आजकल घरों में स्विच बोर्ड को साफ करना काफी मुश्किल होता है। इसे साफ करने के लिए आप शेविंग क्रीम, मिट्टी का तेल या नेल पॉलिश रिमूवर का इस्तेमाल कर सकते हैं। बस कपड़े को हल्का सा गीला करें ताकि करंट का खतरा न रहे। इन चीजों के उपयोग से बोर्ड बिल्कुल नया जैसा चमकने लगेगा।

प्लास्टिक या कांच? नारियल तेल रखने के लिए कौन सा डिब्बा है बेस्ट

प्लास्टिक या कांच? नारियल तेल रखने के लिए कौन सा डिब्बा है बेस्ट

नारियल तेल को प्लास्टिक की बोतल में रखना बंद करो क्योंकि धूप और गर्मी से प्लास्टिक के केमिकल तेल में घुलकर उसे खराब कर देते हैं। तेल की खुशबू और शुद्धता बचाए रखनी है, तो कांच का जार ही सबसे बेस्ट है। कांच में रखा तेल लंबे समय तक ताजा रहता है और सेहत को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता।

World Saree Day: जब साड़ी नहीं थी तब क्या पहनती थीं महिलाएं?

World Saree Day: जब साड़ी नहीं थी तब क्या पहनती थीं महिलाएं?

आज भले ही साड़ी भारत की पहचान हो, लेकिन पुराने जमाने में औरतें साड़ी नहीं बल्कि ‘नीवी’ और ‘स्तनपट्ट’ जैसे बिना सिले कपड़े पहनती थीं। सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक काल में शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से को ढकने के लिए अलग-अलग कपड़ों का चलन था। धीरे-धीरे इन्हीं लिबासों ने लंबा रूप लिया और आज की शानदार साड़ी का जन्म हुआ।

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